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Jind Jaynti devi mandir : गुप्त नवरात्रों में 38 साल पहले 9 कन्याओं से जो पूजन शुरू हुआ था, वह अब हजारों की तादाद में पहुंच गया हैं। श्रद्धा का यह कारवां इस कद्र फलीभूत हुआ कि जींद के महाभारत कालीन जयंती देवी मंदिर में देश-प्रदेश से श्रद्धालु कन्या पूजन के महा समागम में पहुंचकर अपनी अर्जी लगाते हैं। पिछले वर्ष जहां 11 से 13 हजार कन्याओं का पूजन हुआ था, वहीं इस वर्ष भी 11 हजार कन्याओं के पूजन का संकल्प लेकर जो श्रद्धालु निकले है, उसके नतीजन ज्यादा कन्याओं के महापूजन की तस्वीर उभरकर सामने आने लगी है।
इस भव्य कार्यक्रम की व्यवस्था में जुटे प्रमुख श्रद्धालुओं के दावो के लिहाज से मां जयंती के दरबार में 11 फरवरी को करीब 13 हजार कन्याओं का पहुंचना लगभग तय है। कन्याओं को 128 स्कूलों से बस में लाने और वापिस छुड़वाने की व्यवस्था को देख रहे सुनील शांडिल्य और सागर कौशिक ने कहा कि जिस तरह से सूची लंबी हो रही है, उसके नतीजन इस बार 13 हजार कन्याएं मंदिर प्रांगण मेें पहुंचकर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देगी। मंदिर पुजारी नवीन कुमार शास्त्री ने बताया कि 29 जनवरी से शुरू हुए दुर्गा सप्तशती 108 पाठ एवं सवा लाख नवार्ण मंत्रों का जाप कर रहे 51 पंडित कार्यक्रम को पूरी तरह से भक्ति रस से सरोबार किये हुए है।
भक्ति के इस समुंद्र में शामिल होने के लिए हर रोज मंदिर प्रांगण में सैंकड़ों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। 11 फरवरी को गुप्त नवरात्रों के समापन और मां जयंती के प्रकटोत्सव पर पूर्णाहुति होगी। भव्य कार्यक्रम की व्यवस्था के लिए 500 श्रद्धालु वालंटियर के तौर पर अपनी सेवाएं देंगे। मानव कल्याण के लिए गुप्त नवरात्रों के दिनों में 14 दिनों के दौरान चली पूजा-अर्चना के महत्व को देखते हुए हजारों लोग समापन समारोह में पहुंचते हैं। समापन समारोह में जो भंडारा लगेगा, उसमें करीब 16 हजार श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है। इस दौरान मुख्यातिथि के तौर पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली, कैबिनेट मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा, कै बिनेट मंत्री कृष्ण बेदी सहित अनेकों नेता और
प्रशासनिक अधिकारी तथा संत समाज से जुड़े खास चेहरे शिरकत करेगें।
मां जयंती के दरबार में सवा लाख नवार्ण मंत्रो का जाप कर रहे कुरूक्षेत्र से आये हुए पंडित। पांडवों को भी मिली थी जीत, जानें इस प्राचीन मंदिर के बारे में। जयंती देवी मंदिर में समुंद्र मंथन के समय देव सेनापति जन्नत ने दानवों से अमृत कलश पाने के लिए इसी स्थान पर पूजा कर विजय का आशीर्वाद मांगा था और अमृत कलश को देवताओं को पास पहुंचाया था। इसके अलावा पांडवों ने विजय के लिए भी इसी मंदिर में पूजा की थी। श्री जयंती देवी मंदिर काफी पुराना है। बताया जाता है कि इस मंदिर के नाम से ही जिले का नाम जींद पड़ा था। मंदिर का नाम प्रदेश के मानचित्र पर भी अंकित है। जानकारों की माने तो महाभारत के समय पांडवों ने जींद में जयंती देवी मंदिर की स्थापना की थी और यहां जयंती देवी की पूजा कर युद्ध भूमि में उतरे थे। माता जयंती देवी ने ही पांडवों को जीत का वरदान दिया था जिससे उनकी जीत सुनिश्चित हुई।
जयंती देवी मंदिर में पूरे वर्ष भर भक्तों का तांता लगा रहता है। मां के इस मंदिर में देश के बड़े-बड़े राजनेता परिवारजन सहित कई बार आ चुके हैं। यहां श्रद्धालुओं का मानना है कि मां के मंदिर में हवन करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है, इसलिए चुनाव के समय माता के दरबार में नेतागण अपनी मुराद लेकर आते हैं। साथ ही चुनाव में जीत के लिए कई नेता इस मंदिर में हवन भी करते रहे हैं। हरियाणा के डिप्टी स्पीकर डॉक्टर कृष्ण मिढ़ा भी हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी जन्म दिवस पर हवन यज्ञ में हिस्सा लेने इसी मंदिर में पहुंचे थे।